Best Gulzar Shayari In Hindi | गुलज़ार शायरी हिंदी में

Gulzar Shayari in Hindi : Gulzar sahab is one of the most popular writer in India. Also, the best lyricists. Gulzar Sahab Writes Thousand of Beautiful Ghazal, Shayari, Poetry, Quotes, and Poems in Hindi & Urdu. Her words touch everyone’s heart. Here we have Collected some best Hindi Shayari’s of Gulzar Sahab in text and image format.

gulzar shayari in hindi

इतना क्यों सिखाए जा रही है ज़िन्दगी हमें, कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
​बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है.
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
– Gulzar –

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे।
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे।
– Gulzar –

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
– Gulzar –

gulzar shayari in hindi

मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।
– Gulzar –

आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
– Gulzar –

फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।
– Gulzar –

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
– Gulzar –

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
– Gulzar –

रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
– Gulzar –

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
– Gulzar –

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
– Gulzar –

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।
– Gulzar –

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।
– Gulzar –

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
– Gulzar –

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
– Gulzar –

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
– Gulzar –

घर में अपनों से उतना ही रूठो,
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके।
– Gulzar –

दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
– Gulzar –

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।
– Gulzar –

मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
– Gulzar –

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
– Gulzar –

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं।
– Gulzar –

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।
– Gulzar –

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।
– Gulzar –

किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।
– Gulzar –

सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।
– Gulzar –

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।
– Gulzar –

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
– Gulzar –

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
– Gulzar –

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
– Gulzar –

मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
– Gulzar –

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
– Gulzar –

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
– Gulzar –

कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
– Gulzar –

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।
– Gulzar –

शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।
– Gulzar –

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
– Gulzar –

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।
– Gulzar –

ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छ: गिले भी नहीं।
– Gulzar –

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
– Gulzar –

छोटा सा साया था, आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
– Gulzar –

अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा।
– Gulzar –